रजनी को विकास अपने जीवनसाथी के रूप में बिल्कुल भी पसंद नहीं था

रजनी को विकास अपने जीवनसाथी के रूप में बिल्कुल भी पसंद नहीं था। उसे लगता था कि वे दोनों एक-दूसरे के लिए सही साथी नहीं हैं। लेकिन परिवार के दबाव और सामाजिक अपेक्षाओं के चलते उसने शादी के लिए अनमने मन से हां कर दी। हालांकि, उसके दिल में हमेशा यह सवाल बना रहा कि क्या वह सही निर्णय ले रही है। लेकिन शादी के बाद, जैसे ही वह मांट्रियल एयरपोर्ट पर पहुंची और उसकी नजर पहली बार विकास पर पड़ी, तो वह पूरी तरह से चौंक गई।

रजनी जब विकास से मिलने पहुंची, तो उसने बहुत ही कम समय वहां बिताया। कमरे में वह मुश्किल से 15 मिनट के लिए रुकी, और इस दौरान उसने जल्दी-जल्दी चाय खत्म की। बिना किसी खास बातचीत के, वह तुरंत बाहर निकल गई। रजनी के इस अप्रत्याशित व्यवहार से उसके माता-पिता चौंक गए और समझ नहीं पाए कि यह अचानक क्या हुआ। मां चुपचाप उसके पीछे-पीछे बाहर चली गईं, यह जानने के लिए कि वह क्यों इतनी बेचैन है। वहीं, पिता ने माहौल को सहज बनाने के लिए विकास से कनाडा के जीवन और अनुभवों पर चर्चा शुरू कर दी, ताकि स्थिति सामान्य लग सके।

विकास अकेले ही कानपुर से दिल्ली आया था, इसीलिए स्थिति ज्यादा जटिल नहीं बनी और मामले को बिना किसी बड़ी परेशानी के आसानी से सुलझा लिया गया। यदि उसके साथ कोई अनुभवी और अधिक उम्र का व्यक्ति होता, तो रजनी का यह असभ्य और अप्रत्याशित व्यवहार किसी भी हालत में छिपाया नहीं जा सकता था। हालांकि, रजनी को देखकर विकास इतना गहराई से प्रभावित और उसकी ओर आकर्षित हो गया था कि उसे रजनी का यह विचित्र और असामान्य रवैया किसी भी तरह से अप्राकृतिक या असामान्य प्रतीत नहीं हुआ।

बाहर जाकर रजनी की मां ने उसे थोड़ी सख्ती से समझाया, “इस तरह बिना कुछ कहे उठकर क्यों चली आई? अगर वह बुरा मान गया तो क्या होगा? हमें उसकी भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए। मुझे तो ऐसा लगता है कि लड़के को तू सचमुच बहुत पसंद आ गई है।”

“मैं उससे शादी नहीं करना चाहती। उसका चेहरा बंदर जैसा दिखता है। इतना साधारण व्यक्तित्व है कि उसके साथ बाहर जाने में भी शर्म महसूस होगी,” रजनी ने नाराज होकर कहा।

“मुझे तो उसमें कोई कमी नहीं दिखती। लड़कों में रूप-रंग नहीं, उनकी पढ़ाई और नौकरी देखी जाती है। वह तुझे पूरी जिंदगी कनाडा में ऐश कराएगा। घर-बार भी अच्छा है,” मां ने समझाते हुए कहा। “चल, वापस जाकर कुछ देर बैठ ले।”

मां की बात मानकर रजनी वापस बैठक में आ गई। रजनी की मां ने विकास की ओर बरफी की प्लेट बढ़ाते हुए कहा, “इसकी आंख में कुछ चला गया था।” रजनी ने भी मां की बात का साथ देते हुए अपनी आंख सहलाना शुरू कर दिया।

विकास ने दोपहर का खाना नहीं खाया था। उसे शाम की गाड़ी से कानपुर जाना था। स्टेशन तक उसे छोड़ने रजनी के पिताजी आए। रास्ते में विकास ने उन्हें बताया कि उसे रजनी बहुत पसंद है और उनकी तरफ से ‘हां’ ही समझा जाए। साथ ही उसने कहा कि शादी 15 दिन के अंदर करनी होगी क्योंकि उसकी छुट्टी के सिर्फ 3 हफ्ते बचे हैं, और वह दहेज की कोई मांग नहीं करेगा।

रजनी के पिताजी जब विकास को विदा कर लौटे, तो मन ही मन खुश तो थे, लेकिन उन्हें अपनी आजाद खयाल बेटी की सहमति को लेकर चिंता भी थी। पिछले तीन सालों में उन्होंने कई लड़कों से रजनी का रिश्ता करवाने की कोशिश की थी। रजनी बेहद सुंदर थी, इसलिए हर लड़के को वह पसंद आती थी, लेकिन रिश्ता या तो दहेज की वजह से रुक जाता या फिर रजनी को लड़का पसंद नहीं आता। उसे एक ऐसा पति चाहिए था जो आकर्षक हो और जिसकी आय अच्छी हो।

माता-पिता ने उसे समझाने के लिए हर संभव प्रयास किया, हर तर्क और हर भावना का सहारा लिया, लेकिन रजनी अपने फैसले पर अडिग रही और किसी की बात सुनने को तैयार नहीं हुई। उस रात रजनी के पिताजी देर तक जागते रहे, बार-बार यही सोचते हुए कि अपनी इस जिद्दी और आत्मनिर्भर बेटी को सही रास्ते पर कैसे लाया जाए, ताकि वह भविष्य में परेशानियों से बच सके और सही निर्णय ले सके।

अगली रात तारवाले ने दरवाजा खटखटाकर सबको जगा दिया। रजनी के पिता तार लेकर कमरे में आए। तार विकास के पिताजी का था, जिसमें उन्होंने रिश्ते के लिए सहमति दी थी। साथ ही यह भी बताया कि दो दिन बाद वे अपने परिवार के साथ दिल्ली आकर “रोकने” की रस्म पूरी करेंगे। यह सुनकर रजनी ने नाखुशी से मुंह बिचका लिया। कमरे में मौजूद छोटे बच्चों को इशारे से बाहर भेज दिया गया। अब कमरे में केवल रजनी और उसके माता-पिता थे।

“बेटी, मैं जानता हूं कि विकास बहुत आकर्षक नहीं है, लेकिन देख, वह कनाडा में कितने अच्छे से बसा हुआ है। उसकी वहां एक स्थायी नौकरी है और खुद का घर भी है। इतने साल से हम परेशान हो रहे थे, लेकिन कहीं कोई बात बन ही नहीं रही थी। तू तो समझदार है। विकास के कपड़े देखे थे न, कितने साधारण थे। कनाडा में रहकर भी उसने खुद को बिल्कुल नहीं बदला। अगर तू उसके लिए अच्छे कपड़े खरीद देगी, तो वह भी स्मार्ट लगने लगेगा,” पिता ने धैर्यपूर्वक समझाया।

“देखो, आजकल लड़के चाहते हैं कि उनकी पत्नी सुंदर भी हो और कमाऊ भी। अगर तेरे पास कोई ढंग की नौकरी होती, तो शायद दहेज की मांग इतनी अधिक न होती। हम दहेज कहां से लाएं, तू अपने घर की हालत से भलीभांति परिचित है। लड़कों को यह पता है कि सुंदरता तो कुछ सालों की ही मेहमान होती है, लेकिन कमाने वाली लड़की जीवनभर घर को सहारा देती है,” मां ने भी अपनी पूरी कोशिश की बेटी को समझाने की।

रजनी ने अपने माता-पिता की सारी बातें सुनी, लेकिन कुछ नहीं कहा। तीन साल पहले उसने एम.ए. तृतीय श्रेणी में पास किया था। उसे कभी कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल पाई थी। उसके साथ पढ़ने वाली 2-3 होशियार लड़कियां कॉलेजों में व्याख्याता की नौकरी पा चुकी थीं। जिन आकर्षक युवकों को रजनी अपने जीवनसाथी के रूप में देखना चाहती थी, वे पहले ही नौकरीपेशा लड़कियों से शादी कर चुके थे। शादी और नौकरी की दौड़ में रजनी काफी पीछे रह गई थी।

“देख, कनाडा में बसने का सपना किसे नहीं भाता। जब लोग तुझे वहां की ज़िंदगी जीते देखेंगे, तो सब तुझसे रश्क करेंगे। तू अपने छोटे भाई-बहनों के लिए भी बहुत कुछ कर सकेगी, उनके सपनों को पूरा कर पाएगी,” पिता ने बड़े प्यार से उसे समझाने की कोशिश की। रजनी को अपने भाई-बहनों से गहरा लगाव था। वह जानती थी कि पिताजी की सीमित आमदनी में घर की सभी जरूरतें पूरी करना और कुछ अतिरिक्त करना कितना मुश्किल था। यह सोचकर उसका मन मंथन करने लगा, “अगर मैं कनाडा चली गई, तो अपने भाई-बहनों के लिए न सिर्फ बेहतर चीज़ें ला सकूंगी, बल्कि उनकी ज़िंदगी को भी सुखद बना सकूंगी। साथ ही विकास की जिंदगी को भी बदलने का मौका मिलेगा। कम से कम उसकी पुरानी आदतों और पहनावे को तो बदलवा ही दूंगी।”

रजनी ने अपनी मां के गले लगते हुए भावुक होकर कहा, “मां, जैसा आप और पापा चाहेंगे, मैं वैसा ही करूंगी। आपकी इच्छा मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है और वही मेरी अपनी इच्छा भी होगी।”

रजनी के पिता खुशी से झूम उठे और बेटी का माथा चूम लिया। उन्होंने तुरंत छोटे बच्चों को बुला लिया। उस रात घर में खुशी का ऐसा माहौल था कि कोई सो ही नहीं पाया। दो हफ्ते बाद रजनी और विकास की शादी धूमधाम से हो गई। शादी के कुछ दिन बाद रजनी, विकास के साथ कानपुर से दिल्ली आ गई। दिल्ली पहुंचते ही विकास उसे कनाडा के उच्चायोग ले गया और आप्रवास से जुड़ी सारी औपचारिकताएं पूरी करवाईं।

कनाडा जाने के दो हफ्ते बाद ही विकास ने रजनी को एक हजार डालर का चेक भेजा। जब रजनी बैंक में चेक जमा कराने गई, तो उसने अपने नाम से खाता खुलवा लिया। बैंक क्लर्क ने बताया कि खाते में जल्द ही दस हजार रुपये से ज्यादा धन जमा हो जाएगा। यह सुनकर रजनी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। शादी के बाद रजनी भारत में दस महीने रही। इस दौरान वह कई बार कानपुर गई और ससुराल में बहुत अच्छा समय बिताया। ससुराल वाले उसे बेहद अच्छे लगे। उन्होंने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि उसके माता-पिता साधारण स्थिति में हैं।

आखिरकार विकास ने रजनी के लिए हवाई टिकट भेज दिया। उसे विदा करने के लिए मायके वाले भी कानपुर से दिल्ली आए। लंदन हवाई अड्डे पर रजनी को फ्लाइट बदलनी थी। उसने वहां से विकास को फोन किया। विकास तो उसके आने का हर पल इंतजार कर रहा था।

मांट्रियल हवाई अड्डे पर रजनी को विकास काफी बदले हुए नजर आए। उन्होंने महंगा सूट पहना हुआ था और बाल भी बेहद सलीके से संवारे हुए थे। विकास ने रजनी के हाथ से सामान की ट्राली ले ली और उन्हें कारपार्किंग की ओर ले गए, जहां एक लंबी और खूबसूरत कार खड़ी थी। रजनी को यह जानकर हैरानी हुई कि यह कार उनकी अपनी है। मन ही मन उन्होंने सोचा कि जल्द ही कार चलाना सीख जाएंगी और इसे गर्व से चलाएंगी। वह यह भी सोचने लगीं कि कार के साथ एक फोटो खिंचवा कर घर भेजेंगी, जिससे उनके माता-पिता बेहद खुश होंगे।

कार में बैठते ही रजनी ने विकास के साथ वाली सीट पर बैठते हुए गर्व का अनुभव किया। विकास ने उन्हें बताया कि उन्होंने कर्कलैंड में एक शानदार घर खरीदा है, जो हवाई अड्डे से करीब 55 किलोमीटर दूर है। कार तेज गति से चल रही थी और रजनी को सब कुछ किसी सपने जैसा लग रहा था। लगभग 40-45 मिनट बाद वे अपने नए घर पहुंचे।

विकास ने कार के अंदर से ही गैराज का दरवाजा खोल लिया, जिसे देखकर रजनी बेहद हैरान थीं। घर के अंदर कदम रखते ही रजनी को यकीन नहीं हो रहा था कि यह आलीशान घर उनका अपना है। उनकी कल्पनाओं में घर बस दो कमरों का ही हुआ करता था, जैसा उन्होंने बचपन से देखा था। विकास ने घर को बहुत खूबसूरती से सजाया हुआ था और वहां हर आधुनिक सुविधा मौजूद थी।

रजनी घर के हर कोने को बड़ी उत्सुकता और गहराई से निहार रही थीं। हर चीज़ को देखकर उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक और संतोष झलक रहा था, जैसे उनका सपना साकार हो गया हो। मन ही मन वह इस नए अध्याय की शुरुआत को लेकर बेहद प्रसन्न थीं। तभी विकास उनके पास आए, उनके चेहरे पर एक प्यारी मुस्कान थी और उन्होंने हल्के से उनकी ओर देखकर कहा, “आज की शाम को खास बनाने के लिए हम बाहर जाकर इसे सेलिब्रेट करेंगे। लेकिन उससे पहले तुम्हें थोड़ा आराम करना चाहिए। बताओ, कुछ ठंडा पियोगी या गरम चाय पसंद करोगी?”

रजनी ने अपने चेहरे पर एक हल्की मुस्कान सजाते हुए, बेहद आत्मीयता और विश्वास के साथ विकास की ओर कदम बढ़ाए। उनकी चाल में एक खास आकर्षण था, और जब उन्होंने विकास की बाहों में अपनी बांहें डालीं, तो उनके हावभाव में एक गहरी अपनापन झलक रहा था। उनकी आंखों में एक अनोखी चमक थी, जो उनके मन के भावों को साफ दर्शा रही थी। नज़दीक आकर वे धीमे स्वर में बोलीं, “विकास, इतनी खूबसूरत और सुकून भरी शाम बाहर की हलचल में बिताने के लिए नहीं बनी है। क्यों न हम अंदर चलें? मुझे अपना शयनकक्ष दिखाओ, ताकि हम इस पल को और खास बना सकें और साथ में थोड़ा समय साझा करें।”

विकास ने अपनी चिरपरिचित मीठी मुस्कान के साथ रजनी को बेहद स्नेहपूर्वक अपनी मजबूत और सुरक्षित बाहों में भर लिया। उनके इस कोमल और आत्मीय स्पर्श में गहराई से भरा प्यार साफ झलक रहा था। बड़े ही अंदाज और नज़ाकत के साथ, उन्होंने रजनी को ऊपरी मंजिल पर स्थित उनके खूबसूरती से सजे हुए शयनकक्ष की ओर लेकर चलना शुरू किया। इस बीच, उनके कदमों में एक अनूठी हलचल और उनके चेहरे पर एक गहरी संतोष भरी चमक स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी, जो उनके दिल के भावों को बखूबी बयां कर रही थी।

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